Why we celebrate Holi, a Story behind it!

रंगों की मस्ती, खुशियों की धूम! होली का ये त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है और वसंत ऋतु के आगमन का जश्न भी है. एक-दूसरे को रंग लगाकर हम गिले-शिकवे भुलाकर भाईचारा मनाते हैं!

हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला होली का पर्व सिर्फ रंगों का त्योहार ही नहीं, बल्कि खुशियों और सद्भाव का प्रतीक भी है. आइए जानते हैं क्यों हम होली मनाते हैं?

धार्मिक मान्यताएं

होली से जुड़ी दो प्रमुख धार्मिक कथाएँ हैं. पहली कथा हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रह्लाद से जुड़ी है. हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था जिससे वह ना मारा जा सकता था और ना ही दिन में या रात में, धरती पर या आकाश में. लेकिन उसका अपना बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से रोकने की बहुत कोशिशें कीं, यहाँ तक कि अपनी बहन होलिका को आग में लेप होकर प्रह्लाद को साथ लेकर जलने का आदेश दिया. लेकिन भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया और प्रह्लाद को बचा लिया. होलिका दहन इसी बुराई के नाश का प्रतीक है.

दूसरी कथा भगवान कृष्ण और राधा रानी से जुड़ी है. ब्रज में होली के दौरान कृष्ण राधा और गोपियों के साथ रंग खेलते थे. माना जाता है कि इसी परंपरा से होली खेलने की शुरुआत हुई.

वसंत ऋतु का स्वागत

होली वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है. सर्दी का सख्त दौर खत्म हो चुका होता है और पेड़-पौधे नई पत्तियों से सजे होते हैं. हर तरफ रंग ही रंग दिखाई देते हैं. रंगों की तरह ही होली हमें जीवन में भी खुशियाँ भरने का संदेश देती है.

सामुदायिक सद्भाव का प्रतीक

होली के दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं. गरीब-अमीर, छोटे-बड़े सभी भेद भुलाकर खुशियाँ मनाते हैं. यह त्योहार हमें आपसी सद्भाव और भाईचारे का संदेश देता है.

तो इस होली खूब रंग लगाइए, मिठाइयाँ बाँटें और खुशियाँ मनाएँ!

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